मोदी सरकार ने खेती-किसानी और निर्माण क्षेत्र में इस्‍तेमाल होने वाले डीजल चालित वाहनों में CNG के भी इस्‍तेमाल को मंजूरी दी है. इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है. इससे अब डीजल पर चलने वाले वाहनों में बॉयो सीएनजी या एलएनजी का भी इस्‍तेमाल संभव हो पाएगा. हालांकि इसके लिए आपको इंजन में कुछ बदलाव कराने होंगे. जानकारों का कहना है कि ईंधन के इस मिश्रण से ऑपरेशनल कॉस्‍ट में 20% की कमी आएगी. यानि ईंधन पर 20 प्रतिशत खर्च बचेगा.

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किन वाहनों में हो सकेगा डुअल ईंधन का इस्‍तेमाल

सरकार की अधिसूचना के मुताबिक M-1 ग्रेड के वाहनों में डुअल ईंधन के इस्‍तेमाल को मंजूरी दी गई है. एम-1 ग्रेड का मतलब है 9 या उससे ज्‍यादा की संख्‍या के यात्री ढोने वाले वाहन. डुअल ईंधन में 60% डीजल और 40 फीसदी सीएनजी, बॉयो सीएनजी या एलएनजी का इस्‍तेमाल होगा.

कैसे काम करता है डुअल फ्यूल इंजन

डुअल फ्यूल इंजन, ऐसा इंजन है जिसे चलाने के लिए दो ईंधन का इस्‍तेमाल होता है. इसमें गैस ईंधन का इस्‍तेमाल मुख्‍य ईंधन के तौर पर होता है और डीजल पायलट फ्यूल होता है. इन इंजनों में गैस व हवा का मिश्रण इंजन सिलेंडर में जाता है. सिलेंडर में यह मिश्रण कम्‍प्रेस्‍ड हो जाता है. फिर डीजल कम मात्रा में इंजेक्‍ट होता है और इंजन दौड़ने लगता है.

रेलवे में हुआ था ऐसा प्रयोग

इंडियन रेलवे में डीजल इंजन को डुअल ईंधन से चलाने का प्रयोग हो चुका है. इसमें पोर्ट इंजेक्शन टेक्नॉलजी का इस्‍तेमाल हुआ था. इसके बाद एक रूट पर इसका प्रायोगिक इस्‍तेमाल हुआ. इस इंजन को तैयार करने में जर्मन इंजीनियरों की मदद ली गई थी.

क्‍या है अधिसूचना में

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कहा है कि अधिसूचना के तहत डुअल फ्यूल वाले वाहनों में ट्रैक्टर, पावर टिलर और निर्माण उपकरण वाहन और हार्वेस्टर शामिल हैं. इनका विनिर्माण मूल रूप से दो तरह के ईंधन के रूप में किया गया है. इनके लिए प्रमुख ईंधन डीजल और सीएनजी, बायो सीएनजी वैकल्पिक ईंधन है. यह अधिसूचना केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के नियम 115ए और 115 बी में संशोधन के जरिये जारी की गई है. इसमें नए नियम 115एए और 115 बीबी शामिल किए गए हैं.

सीएनजी ईंधन से क्‍या होगा फायदा

सीएनजी ईंधन के आने से सबसे ज्‍यादा फायदा हमारे पर्यावरण को होगा. इससे पर्यावरण के लिए खतरनाक PM लेवल गिरेगा. सीएनजी ईंधन सबसे कम प्रदूषण करते हैं. वहीं डीजल वाहन का धुंआ सबसे ज्‍यादा प्रदूषण पैदा करता है. इसीलिए दिल्‍ली में डीजल वाहनों की संख्‍या घटाने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं. केंद्र सरकार की योजना धीरे-धीरे डीजल और पेट्रोल चालित वाहनों की संख्‍या घटाने की है. वह इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है.