FAME-2 Subsidy Cut May Decline EV Adoption: केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर बनाने वाली कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती करने का फैसला किया है. सरकार के इस फैसले के बाद से 1 जून 2023 से इलेक्ट्रिक 2-व्हीकल महंगे हो जाएंगे. हालांकि ग्राहकों के पास अभी भी यानी कि सस्ते इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर खरीदने का मौका 31 मई तक है. सरकार के इस फैसले के बाद अब इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्यूफैक्चर्र सोसाइटी (SMEV) ने चिंता जाहिर की है. सोसाइटी का कहना है कि इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स को दी जाने वाली सब्सिडी में औचक कटौती एक बड़ा फैसला है और इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने वालों पर असर देखने को मिल सकता है. सोसाइटी ने कहा कि सब्सिडी घटाने से इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने वालों में भारी कमी आ सकती है. उन्होंने आगे ये भी कहा कि इससे पूरी इंडस्ट्री पर प्रभाव पड़ सकता है. 

स्टार्टअप कंपनियों ने किया स्वागत

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हालांकि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी स्पेस में स्टार्टअप प्लेयर्स ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. स्टार्टअप कंपनियों का कहना है कि अब समय आ गया है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री अपने पैरों पर खड़ी हो जाए. बता दें कि हैवी इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने FAME-2 (Faster Adoption of Manufacturing of Electric Vehicles in India) के तहत मिलने वाली सब्सिडी को घटाने का नोटिफिकेशन जारी किया था. इस स्कीम के तहत मिलने वाली सब्सिडी अब 1 जून 2023 या उसके बाद रजिस्टर होने वाले इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स पर अप्लाई होगी.

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VoltUp Co-Founder और CEO सिद्धार्थ काबरा ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि 15 फीसदी तक सब्सिडी घटाने से पता चल रहा है कि देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल इकोसिस्टम तेजी से बढ़ रहा है और इसकी मांग है. हालांकि सब्सिडी घटाने से इलेक्ट्रिक 2 व्हीलर की कीमतों में तेजी आएगी और सेल्स घट सकती है. इसके अलावा HOP Electric Mobility के Co-Founder और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर निखिल भाटिया ने कहा कि इस कदम से इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को खुद के पैरों पर खड़े होने का मौका मिलेगा. सब्सिडी घटाना अच्छा फैसला है और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को अब सब्सिडी लेने की जरूरत नहीं है.

सब्सिडी में की इतनी कटौती

हैवी इंडस्ट्री मिनिस्ट्री के नोटिफिकेशन के मुताबिक इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए मांग प्रोत्साहन 10,000 रुपये प्रति किलोवाट घंटा होगा. इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए प्रोत्साहन की सीमा अब वाहनों के फैक्टरी मूल्य का 15 प्रतिशत होगी, जो पहले 40 प्रतिशत थी. बता दें कि फेम-2 योजना एक अप्रैल 2019 को तीन साल के लिए शुरू की गई थी. बाद में इसे 31 मार्च, 2024 तक के लिए और बढ़ा दिया गया था. 

EV इंडस्ट्री पर पड़ेगा इसका असर

सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्यूफैक्चर्र सोसाइटी (SMEV) के डायरेक्टर जनरल सोहिंदर गिल ने कहा कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर को मिलने वाली सब्सिडी को अचानक से घटाने पर इलेक्ट्रिक व्हीकल को खरीदने वाले पर इसका असर पड़ेगा. इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीदारी में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है. इससे पूरी इंडस्ट्री पर प्रभाव पड़ सकता है. 

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उन्होंने आगे कहा कि पेट्रोल टू-व्हीलर्स की कीमत 1 लाख रुपए से भी कम है और इस तरह के स्कूटर्स की संख्या ज्यादा है. ग्राहकों का 1.5 लाख रुपए से ज्यादा खर्च करके स्कूटर खरीदने की संभावना काफी कम है. उन्होंने आगे कहा कि मार्केट ग्रोथ को सुनिश्चित करने के लिए अच्छा ये होता कि धीरे-धीरे सब्सिडी का ट्रांजिशन होता. उन्होंने आगे कहा कि कस्टमर से सब्सिडी लेने से पहले इलेक्ट्रिक व्हीकल अडॉप्शन (EV Adoption) 20 फीसदी के अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क पहुंच जाता, जो कि अभी 4.9 फीसदी है.

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