देश में ऑटो प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. ऑटो कंपनियां लगातार नए-नए प्रोडक्ट्स लॉन्च कर रही हैं और ऑटो सेल्स भी लगातार हर महीने औसतन बढ़ ही रही है. बता दें कि देश में पॉल्यूशन बढ़ने में ऑटो सेक्टर का भी योगदान रहता है. पेट्रोल और डीजल गाड़ियों से निकलने वाले कार्बन एमिशन की वजह से पॉल्यूशन बढ़ता है और इसे रोकने के लिए सरकार और ऑटो कंपनियों दोनों की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. 7 जनवरी को ऑटो सेक्टर के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है. ऑटो कंपनियों के लिए Environment Protection (End-of-Life Vehicles) Rules, 2025 को लागू करने का फैसला लिया गया है. ये नियम एक अप्रैल, 2025 से लागू हो जाएंगे. 

सभी स्टेकहोल्डर्स की होगी जिम्मेदारी

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केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, गाड़ियों के लिए End of Life नियम को लागू करने का फैसला लिया गया है. इसके तहत गाड़ी की End of Life के लिए बनाने, चलाने और स्क्रैपिंग में शामिल सभी की जिम्मेदारी तय की गई है. 1 अप्रैल, 2025 से Environment Protection (End-of-Life Vehicles) Rules, 2025 लागू होगा. हालांकि इस नियम से कृषि उपयोग के वाहन बाहर रहेंगे और इन वाहनों के अलावा सभी प्रकार की गाड़ियों के लिए नियम लागू रहेंगे. 

स्क्रैपिंग का लक्ष्य हासिल करना जरूरी

सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सेबिलिटी (EPR) में तय जिम्मेदारी को पूरा करना सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए जरूरी है. इसके अलावा स्क्रैपिंग का लक्ष्य हासिल करना भी जरूरी है. स्क्रैपिंग के लिए Buy Back और Deposit Refund जैसी योजना से स्क्रैपिंग को प्रोत्साहन मिलेगा. 

CPCB पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

इसके अलावा नोटिफिकेशन में ये भी कहा गया है कि गाड़ी निर्माण में AIS 129 के सभी मानक का पालन जरूरी है. सस्टेनेबल उत्पादन के लिए तय सीमा में जरूरी अपग्रेड करना होगा. Owner और Bulk Consumer Responsibility को भी तय किया गया है. 

मोटर वाहन एक्ट के तहत गाड़ियों की फिटनेस और टेस्टिंग जरूरी है. End of Life यानी निश्चित अवधि के बाद गाड़ी को स्क्रैपिंग/ आउटलेट पर देना होगा. अपने पास या किसी अन्य इस्तेमाल में पुराने वाहनों को नहीं रखा जा सकता. 

नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई

नोटिफिकेशन में बताया गया है कि Bulk Consumers को हर साल 30 जून तक फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा. गाड़ियों का पर्यावरण हितैषी तरीके से रखरखाव करना कलेक्शन सेंटर की जिम्मेदारी होगी. साथ ही स्क्रैपिंग सेंटर को नियम और पर्यावरण के अनुसार स्क्रैप सुनिश्चित करना होगा. नियम नहीं मानने पर रजिस्ट्रेशन रद्द होने तक की कार्रवाई का प्रावधान है.