देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVS) को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 (Economic Survey) ने सरकार से जीवनभर के स्वामित्व की लागत को कम करने के लिए उचित नीतिगत उपायों को तैयार करने की सिफारिश की है. ईवीएस न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि इसे बढ़ावा मिलने से भारत विनिर्माण के एक केंद्र के रूप में उभर सकता है, जोकि रोजगार और विकास के अवसर पैदा करेगा.

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वर्तमान में भारत में इलेक्ट्रिक कारों की कुल हिस्सेदारी केवल 0.06 फीसदी है. जबकि चीन में यह 2 फीसदी और नार्वे में 39 फीसदी है. विश्व स्तर पर इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है. 2008 में जहां 2000 इलेक्ट्रिक कारें बिकी थी वहीं 2017 में यह आंकड़ा 10 लाख से अधिक हो गया.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि सड़कमार्ग पर चार्जिग स्टेशन उपलब्ध होना जरूरी है. इसमें कहा गया है कि भारत में चार्जिग बुनियादी ढांचे की सीमित उपलब्धतता ईवीएस को बढ़ावा देने में बड़ी बाधा है.

हालांकि बीते दिनों जीएसटी काउंसिल परिषद ने हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी की दर 12 फीसदी घटाकर 5 फीसदी करने पर फैसला टाल दिया था और इस मसले को आगे विश्लेषण के लिए अधिकारियों की समिति के पास भेज दिया है. इलेक्ट्रिक चार्जर पर भी शुल्क कम करने के मसले पर अंतिम फैसला लेने से पहले समिति विचार करेगी.