डीजल व्हीकल्स की सवारी पर लगेगा 'ब्रेक', एमिशन घटाने के लिए सरकारी कमिटी की बड़ी सिफारिश, जानिए पूरा मामला
Diesel Car Bans by 2027: पैनल ने केंद्र सरकार के आगे प्रस्ताव रखा है कि भारत को साल 2027 तक डीजल से चलने वाले 4-व्हीलर व्हीकल्स पर बैन लगा देना चाहिए. इसके अलावा इलेक्ट्रिक और गैस फ्यूल्ड व्हीकल्स की ओर रुख करना चाहिए.
Diesel Car Bans by 2027: देश में कार्बन एमिशन को कम करने के लिए ऑयल मिनिस्ट्री पैनल ने केंद्र सरकार के सामने एक प्रस्ताव रखा है. प्रस्ताव ये है कि 2027 तक डीजल व्हीकल्स को बैन कर देना चाहिए. पैनल ने केंद्र सरकार के आगे प्रस्ताव रखा है कि भारत को साल 2027 तक डीजल से चलने वाले 4-व्हीलर व्हीकल्स पर बैन लगा देना चाहिए. इसके अलावा इलेक्ट्रिक और गैस फ्यूल्ड व्हीकल्स की ओर रुख करना चाहिए. पैनल ने केंद्र सरकार के सामने प्रस्ताव रखा कि जिन शहरों में जनसंख्या 10 लाख से ज्यादा है, वहां एमिशन को कम करने के लिए डीजल पावर व्हीकल पर बैन लगाने की सिफारिश की है.
पॉल्यूशन के पीछे डीजल बड़ा कारण
वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण में डीजल एक बड़ी वजह है. इस प्रदूषण से पार पाने के लिए सरकार की ओर से गठित एनर्जी ट्रांजिशन एडवाइजरी कमेटी अपनी सिफारिश सरकार को सौंपी है. सिफारिशों में 2027 तक डीजल वाहनों को 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में पाबंदी लगाने की बात कही गई है.
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वहीं शहरी क्षेत्रों में डीजल से चलने वाली सिटी बसों के रजिस्ट्रेशन को 2024 से बंद करने की भी बात कही गई है. अगर इन सिफारिशों पर अमल होता है तो अगले 10 साल में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 75 परसेंट सिटी बसें इलेक्ट्रिक होंगी.
CNG बसों के संचालन की अनुमति
सिफारिश में कहा गया है कि 2035 तक CNG बसों के संचालन की इजाजत दी जा सकती है. वहीं सिफारिश में लंबी दूरी की बसों के लिए CNG के साथ हाइब्रिड बसों पर जोर दिया गया है. दरअसल, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानि ARAI की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण के मुख्य कारक PM 2.5 की एक बड़ी वजह ट्रांसपोर्ट सेक्टर है. PM 2.5 के उत्सर्जन में ट्रांसपोर्ट सेक्टर का करीब 20 परसेंट योगदान है. ऐसे में डीजल को लेकर कमेटी की सिफारिशें को सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता.
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कमेटी ने पेट्रोलियम, कोल, पावर एंड रिन्यूएबल मंत्रायल के मंत्रियों के समूह के गठन की सिफारिश की है, ताकि एनर्जी खपत को लेकर एक पुख्ता रोडमैप तैयार किया जा सके. फिलहाल तो कमिटी की सिफारिशों का इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस है. कमिटी ने 2035 तक ग्रिड पावर की क्षमता को भी मौजूदा 18 परसेंट से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने पर जोर दिया है.
डीजल की 70% खपत ट्रांसपोर्ट सेक्टर में
देश में डीजल की कुल खपत की बात करें तो इसकी 70 परसेंट खपत ट्रांसपोर्ट सेक्टर में होती है. इसमें सवा 28 परसेंट खपत ट्रकों में होता है. इसके बाद बसों में साढ़े 9 परसेंट, 22 परसेंट के करीब कारों और साढ़े 6 परसेंट के करीब थ्री व्हीलर्स में होता है. ऐसे में डीजल वाहनों को हटाने की बात इसलिए तेजी से चल रही है क्योंकि 1 डीजल वाहन करीब 24 पेट्रोल वाहनों के बराबर और करीब 40 CNG वाहनों के बराबर प्रदूषण फैलाता है.
डीजल के पॉल्यूशन से सेहत पर पड़ता है असर
डीजल के प्रदूषण से सेहत पर पड़ने वाले खतरे की बात करें तो ये पेट्रोल के मुकाबले 5 गुना ज्यादा घातक है. जबकि EV के मुकाबले 25 गुना ज्यादा घातक है. वहीं डीजल इंजन की गाड़ियां पेट्रोल, CNG और EV के मुकाबले अधिक शोर करती हैं.
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फिलहाल, सरकार वैकल्पिक ईंधनों के इस्तेमाल पर तेजी से आगे बढ़ रही है. देश में फ्यूल के तौर पर इथेनॉल का इस्तेमाल होने लगा है. मौजूदा समय में पेट्रोल में साढ़े 8 परसेंट एथेनॉल मिलाया जाता है. वहीं सरकार हाइड्रोजन फ्यूल पर भी तेजी से काम कर रही है. ऐसे में आने वाले दिनों में डीजल गाड़ियों की संख्या में जहां कमी आएगी, वहीं EV और वैकल्पिक ईंधन से चलने वाली गाड़ियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
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