ताजा रुझानों में ऑटो सेक्टर की बिक्री में काफी गिरावट देखने को मिली है. ऐसे में आगामी बजट से ऑटो सेक्टर को काफी उम्मीदें हैं, ताकि ऑटो सेक्टर को पटरी पर वापस लाया जा सके और बिक्री को नई रफ्तार दी जा सके. बजट आगामी 5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करने वाली हैं. इस बजट में ऑटो इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें हैं और उनकी कई मांगें भी हैं.

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ऑटो सेक्टर के सामने वर्तमान चुनौतियों और उनकी मुख्य मांगों को लेकर JBM auto के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर निशांत आर्य कहते हैं कि ऑटो इंडस्ट्री में जो जीएसटी 28 प्रतिशत है, इसे कैसे घटाकर 18 प्रतिशत किया जा सकता है, बजट में इस पर खास चर्चा होनी चाहिए. जीएसटी घटाने से इंडस्ट्री को काफी लाभ होने वाला है. कैश फ्लो और पूरे स्ट्रक्चर में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा. फिलहाल एमएसएमई और बड़ी कंपनियां सभी पर इसका असर हो रहा है.

उन्होंने कहा कि कंपनियों ने बीएस-6 में बड़ी रकम राशि इन्वेस्ट की है और आगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में करना है तो टेक्नोलॉजी इन्वेस्टमेंट के लिए टैक्स रिबेट, सब्सिडी और अन्य इन्सेंटिव क्या हो सकते हैं, बजट में इस पर ध्यान देना चाहिए. उनका कहना है कि ऑटो सेक्टर में हमलोग देखते हैं कि इंश्योरेंस लागत बढ़ रही है. बीएस-6 की वजह से गाड़ियों की लागत भी बढ़ेगी. ऐसे में अंतिम ग्राहक को कैसे हम राहत प्रदान कर सकते हैं, बजट में इसके लिए प्रावधान किए जाएं.

ऑटो इंडस्ट्री की बजट में ये हैं प्रमुख मांगें

  • टैक्स छूट और फाइनेंस सब्सिडी के तौर पर सरकार इन्सेंटिव दे
  • स्क्रैपेज पॉलिसी को सरकार बढ़ावा दे
  • 15 साल पुरानी गाड़ियों को बदलने के लिए इन्सेंटिव हो
  • पैसेंजर कारों के लिए एक से अधिक टैक्स रेट हटाने की मांग
  • कार, दोपहिया पर कस्टम ड्यूटी में कोई बदलाव न किया जाए
  • फिलहाल कार-दोपहिया पर कस्टम ड्यूटी 50-100 प्रतिशत है
  • आरएंडडी खर्च पर वेटेड डिडक्शन 150 प्रतिशत से बढ़ाकर 200 प्रतिशत किया जाए
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए टैक्स इन्सेंटिव हो
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल्स यूनिट लगाने पर इन्वेस्टमेंट लिंक्ड इन्सेंटिव मिले
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव.