भारत को अगले 4 साल में टू और थ्री-व्हीलर्स को पूरी तरह इलेक्ट्रिक करने पर फोकस करना चाहिए.  इससे देश की ग्रीन मोबिलिटी रेवोल्युशन को सपोर्ट मिलेगा. इसके अलावा हमारा फोकस शेयर्ड, कनेक्टेड और एक इलेक्ट्रिक ट्रांसपोर्टेशन बदलाव पर भी रहना चाहिए. ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) के एक इवेंट में जी 20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि ग्रीन मोबिलिटी रेवोल्युशन हमारा दरवाजा खटखटा रही है. ऐसे में भारत का फोकस इलेक्ट्रिफिकेशन पर होना चाहिए. 

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2, 3-व्हीलर सेगमेंट में 100%  इलेक्ट्रिफिकेशन की आवश्कता

उन्होंने आगे कहा कि मैं हमेशा भरोसा करता हूं कि भारत के इलेक्ट्रिफिकेशन की शुरुआत टू और थ्री-व्हीलर्स के जरिए होगी. क्योकि इस समय भारत में गाड़ियों की कुल बिक्री में 80 फीसदी हिस्सेदारी यहीं से आती है. ऐसे में इन दोनों सेगमेंट को पूरी तरह से इलेक्ट्रिफिकेशन करने की आवश्यकता है. SIAM के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में घरेलू टू-व्हीलर बिक्री का आंकड़ा 2.60 लाख यूनिट, जबकि थ्री-व्हीलर्स बिक्री 1.75 करोड़ थी. गाड़ियों की कुल बिक्री का आंकड़ा 1.75 करोड़ यूनिट रही. वहीं FADA के आंकड़ों के मुताबिक इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर रिटेल बिक्री पिछले वित्त वर्ष में 2.31 लाख यूनिट रही, जो 2020-21 में 41,046 यूनिट थी. यानी बिक्री के आंकड़ों में पांच गुना की बढ़ोती देखने को मिली. वहीं कुल इलेक्ट्रिक व्हीकल की रिटेल बिक्री भी 2020-21 में तीन गुना बढ़कर 1.34 लाख यूनिट हो गई.

EV के लिए ब्याज दरें घटाने की जरूरत

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में बदलाव काफी तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि बैट्री की लागत में तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है. बता दें कि  इलेक्ट्रिक व्हीकल की लागत में 40 से 45 फीसदी हिस्सेदारी बैट्री की होती है. उन्होंने कहा कि पिछले पांच से छह सालों में इसमें 100 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई है। यह 100 डॉलर प्रति किलोवाट से नीचे आने वाला है.

अमिताभ कांत ने यह भी कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए ब्याज दरें भी काफी ऊंची हैं. हमें इसे घटाने की आवश्कता है. इसके अलावा इंश्योरेंस चार्ज भी घटाने की आवश्कता है.